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Wednesday, May 4, 2011

ब्याज के विषय में अल्लाह की नीति और ब्याजख़ोरों के लिए उसका दंड


ऐ आस्थावान लोगो ! मत खाओ ब्याज दूने पर दूना और अल्लाह से डरो ताकि तुम्हारा भला हो और बचो उस आग से जो अवज्ञाकारी और इन्कारियों के लिए तैयार हुई है। -क़ुरआन, 3, 130 व 131
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दुनिया की तबाही के पीछे माल की हवस का बहुत बड़ा हाथ है। ब्याज का लेन-देन लोगों के जीवन को कठिन बनाता है। भारत में लाखों किसान-मज़दूरों की आत्महत्या के पीछे यही ब्याज है और इसी के कारण करोड़ों घरों का सुख-चैन तबाह है। ब्याजख़ोर लोग क़र्ज़ के फंदे में फंसे हुए लोगों की आबरू से भी खेलते हैं। इस तरह समाज के एक छोटे से वर्ग के हाथ में बेतहाशा संपत्ति इकठ्ठी हो जाती है और दूसरी तरफ़ एक बड़ा वर्ग अपनी बुनियादी तालीम से भी महरूम रह जाता है। यह हालत समाज में ग़रीब तबक़े के लिए जीते-जी नर्क भोगने के समान हो जाती है। ऐसे हालात पैदा करने वालों के लिए परलोक में आग के सिवा के कुछ और नहीं हो सकता। परलोक में आप वही काटेंगे जो कि आपने इस दुनिया में बोया होगा।
अब आप देख सकते हैं कि आप कहां जा रहे हैं ?
आग में या बाग़ में ?

परलोक से पहले इस दुनिया में भी ब्याजख़ोर पूंजीपति वर्ग को अपने सताए हुए लोगों की तरफ़ से तरह-तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है। उनके पास माल का ढेर बहुत से अपराधियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। जिसके कारण कभी उनके बच्चों का अपहरण होता रहता है और कभी हफ़्ता वसूली के लिए किसी डॉन का फ़ोन आ जाता है। कभी उनका कोई नौकर ही उन्हें क़त्ल करके उनका माल-असबाब लेकर फ़रार हो जाता है।
उन्होंने दूसरों की शांति लूटी तो सुख-चैन उन्हें भी नसीब नहीं होता और जब कोई बड़ा परिवर्तन होता है तो भी इन पूंजीपतियों की शामत आ जाती है।

अल्लाह के नियम के विरूद्ध जाकर इंसान कभी शांति नहीं पा सकता, यह अटल सत्य है।