Subscribe:

Pages

Tuesday, May 24, 2011

अल्लाह से तो कोई चीज़ न धरती में छिपी है और न आकाश में Allah, Lord of the worlds

याद करो जब इबराहीम ने कहा था, "मेरे रब! इस भूभाग (मक्का) को शान्तिमय बना दे और मुझे और मेरी सन्तान को इससे बचा कि हम मूर्तियों को पूजने लग जाए (35) मेरे रब! इन्होंने (इन मूर्तियों नॆ) बहुत से लोगों को पथभ्रष्ट किया है। अतः जिस किसी ने मॆरा अनुसरण किया वह मेरा है और जिस ने मेरी अवज्ञा की तो निश्चय ही तू बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है (36) मेरे रब! मैंने एक ऐसी घाटी में जहाँ कृषि-योग्य भूमि नहीं अपनी सन्तान के एक हिस्से को तेरे प्रतिष्ठित घर (काबा) के निकट बसा दिया है। हमारे रब! ताकि वे नमाज़ क़ायम करें। अतः तू लोगों के दिलों को उनकी ओर झुका दे और उन्हें फलों और पैदावार की आजीविका प्रदान कर, ताकि वे कृतज्ञ बने (37) हमारे रब! तू जानता ही है जो कुछ हम छिपाते है और जो कुछ प्रकट करते है। अल्लाह से तो कोई चीज़ न धरती में छिपी है और न आकाश में (38) सारी प्रशंसा है उस अल्लाह की जिसने बुढ़ापे के होते हुए भी मुझे इसमाईल और इसहाक़ दिए। निस्संदेह मेरा रब प्रार्थना अवश्य सुनता है (39) मेरे रब! मुझे और मेरी सन्तान को नमाज़ क़ायम करनेवाला बना। हमारे रब! और हमारी प्रार्थना स्वीकार कर (40) हमारे रब! मुझे और मेरे माँ-बाप को और मोमिनों को उस दिन क्षमाकर देना, जिस दिन हिसाब का मामला पेश आएगा।" (41) अब ये अत्याचारी जो कुछ कर रहे है, उससे अल्लाह को असावधान न समझो। वह तो इन्हें बस उस दिन तक के लिए टाल रहा है जबकि आँखे फटी की फटी रह जाएँगी,(42)
क़ुरआन, 14 , 35-42