और आपका पालनहार बहुत क्षमाशील, रहम करने वाला है और यदि उनके (पापियों के) किए (कर्मों) पर उनको पकड़े तो तत्काल उन पर प्रकोप डाल दे, बल्कि उनके लिए एक समय निश्चित है । ये लोग उसके (परमेश्वर के) अलावा कोई जगह शरण की नहीं पा सकते । -क़ुरआन, 18, 58
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'अन्याय की रीति पर चलने का अंजाम तबाही है। यह बात व्यक्ति के लिए भी है और समुदाय , नगर और राष्ट्र के लिए भी। यह तबाही तरह तरह से घेरना तो उसी समय से शुरू कर देती है जबसे कोई इंसान या कोई समुदाय ज़ुल्म और झूठ का रास्ता इख़्तियार करता है लेकिन उसके पूर्ण विनाश में कुछ समय ज़रूर लगता है। ऐसा केवल इसलिए होता है कि अल्लाह क्षमा और दया करने वाला है । वह पाप के बदले में तुरंत नष्ट करने के बजाय सुधार के लिए अवसर देता है लेकिन पाप करने वाले यह समझ लेते हैं कि इस जहान का रखवाला या तो कोई है ही नहीं या फिर उसे कोई परवाह नहीं है कि दुनिया में कौन किसके साथ क्या कर रहा है ?
यह सोच उन्हें ज़ुल्म और पाप करने के लिए और ज़्यादा दिलेर बना देती है । मालिक अपने बंदों के हाल से बेख़बर या ग़ाफ़िल नहीं है बल्कि वह उनके हाल पर मेहरबान है और उनका भला चाहता है।
लेकिन क्या इंसान भी अपना भला चाहता है ?
अगर चाहता है तो फिर वह भलाई के रास्ते पर चलने के बजाय तबाही के रास्ते पर क्यों चला जा रहा ?
वेद और धर्म के विषय में ग़लत निकले स्वामी दयानंद जी के अनुमान
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स्वामी दयानन्द जी की शिक्षाओं ने हिन्दू समाज को आन्दोलित किया। उसमें तर्क
के आधार पर सोचने की क्षमता बढ़ी लेकिन आज बाद में पता चला कि उनकी शिक्षाओं
का पाल...