1- और व्याभिचार के निकट भी न जाओ निःसंदेह वह निर्लज्जता (बेशर्मी) है और बुरा मार्ग है। -कुरआन 17, 32
2- ऐ रसूल ! आप कह दीजिए कि मेरे रब ने निर्लज्जता की सब बातों को वर्जित (हराम) ठहराया है, चाहे वे खुली हों या छिपी हों और गुनाह को और नाहक़ किसी पर जुल्म को और इस बात को कि किसी ऐसी चीज़ को अल्लाह का साझी ठहराओ जिसकी उसने कोई सनद (पुष्टि) नहीं उतारी और इस बात को कि अल्लाह के विषय में वह बातें कहो जिनका तुम्हें (प्रमाणित रूप से) कोई ज्ञान नहीं है।
-कुरआन, 7, 33