और रिश्तेदार को उसका हक़ दो और मिस्कीन को और मुसाफ़िर को और फ़िज़ूलख़र्ची न करो। बेशक फ़िज़ूलख़र्ची करने वाले शैतान के भाई हैं ; और शैतान अपने रब का बड़ा नाशुक्रा है। और अगर तुम्हें अपने रब के फ़ज़्ल के इंतज़ार में जिसकी तुम्हें उम्मीद है , उनसे कतराना भी पड़े तो तुम उनसे नर्मी की बात कहो। और अपना हाथ न तो अपनी गरदन से बाँधे रखो और न उसे बिल्कुल खुला छोड़ दो कि निन्दित और असहाय होकर बैठ जाओ। तेरा रब जिसे चाहता है ज़्यादा और फैली हुई रोज़ी देता है और और जिसे चाहता है नपी तुली देता है। निःसंदेह वह अपने बंदो की ख़बर और उन पर नज़र रखता है।
- क़ुरआन, 17, 27-30
वेद और धर्म के विषय में ग़लत निकले स्वामी दयानंद जी के अनुमान
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स्वामी दयानन्द जी की शिक्षाओं ने हिन्दू समाज को आन्दोलित किया। उसमें तर्क
के आधार पर सोचने की क्षमता बढ़ी लेकिन आज बाद में पता चला कि उनकी शिक्षाओं
का पाल...