अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य प्रभु न बनाओ अन्यथा निंदित और असहाय होकर बैठे रह जाओगे। तुम्हारे रब ने फ़ैसला कर दिया है कि उसके सिवा किसी की बंदगी न करो और माँ बाप के साथ अच्छा व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों ही तुम्हारे सामने बुढ़ापे को पहुँच जाएँ तो उन्हें 'उँह' तक न कहो और न उन्हें झिड़को, बल्कि उनसे शिष्टतापूर्वक बात करो। और उनके आगे दयालुता से नम्रता की भुजाएँ बिछाए रखो और कहो : "मेरे रब ! जिस प्रकार उन्होंने बचपन में मुझे पाला है, तू भी उन पर दया कर।"
जो कुछ तुम्हारे जी में है उसे तुम्हारा रब भली-भाँति जानता है। यदि तुम सुयोग्य और अच्छे हुए तो निश्चय ही वह भी ऐसे रूजू करने वालों के लिए बड़ा क्षमाशील है।
- क़ुरआन, 17, 22-25
वेद और धर्म के विषय में ग़लत निकले स्वामी दयानंद जी के अनुमान
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स्वामी दयानन्द जी की शिक्षाओं ने हिन्दू समाज को आन्दोलित किया। उसमें तर्क
के आधार पर सोचने की क्षमता बढ़ी लेकिन आज बाद में पता चला कि उनकी शिक्षाओं
का पाल...