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Wednesday, June 15, 2011

ग़ददारों के लक्षण और उनके बारे में अल्लाह की नीति

कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हैं, हालाँकि वे ईमान नहीं रखते (8) वे अल्लाह और ईमानवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि धोखा वे स्वयं अपने-आपको ही दे रहे हैं, परन्तु वे इसको महसूस नहीं करते(9) उनके दिलों में रोग था तो अल्लाह ने उनके रोग को और बढ़ा दिया और उनके लिए झूठ बोलते रहने के कारण उनके लिए एक दुखद यातना है (10) और जब उनसे कहा जाता है कि "ज़मीन में बिगाड़ पैदा न करो", तो कहते हैं, "हम तो केवल सुधारक है।""(11) जान लो! वही हैं जो बिगाड़ पैदा करते हैं, परन्तु उन्हें एहसास नहीं होता (12) और जब उनसे कहा जाता है, "ईमान लाओ जैसे लोग ईमान लाए हैं", कहते हैं, "क्या हम ईमान लाए जैसे कम समझ लोग ईमान लाए हैं?" जान लो, वही कम समझ हैं परन्तु जानते नहीं (13) और जब ईमान लानेवालों से मिलते हैं तो कहते, "हम भी ईमान लाए हैं," और जब एकान्त में अपने शैतानों के पास पहुँचते हैं, तो कहते हैं, "हम तो तुम्हारे साथ हैं और यह तो हम केवल परिहास कर रहे हैं।" (14) अल्लाह उनके साथ परिहास कर रहा है और उन्हें उनकी सरकशी में ढील दिए जाता है, वे भटकते फिर रहे हैं (15) यही वे लोग हैं, जिन्होंने मार्गदर्शन के बदले में गुमराही मोल ली, किन्तु उनके इस व्यापार में न कोई लाभ पहुँचाया, और न ही वे सीधा मार्ग पा सके (16)
                                                               - क़ुरआन, 2, 8-16  

Monday, June 13, 2011

अल्लाह के विशेष गुण जो किसी सृष्टि में नहीं है.


अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यंत दयावान है.
कह दो ! अल्लाह एक है .
अल्लाह बेनियाज़ (निरपेक्ष) है. 
न वह किसी की औलाद है और न ही कोई उसकी औलाद है 
और न ही कोई उसका समकक्ष है.

-कुरआन, 112 

Saturday, June 11, 2011

तरह तरह से अपनी औलाद का क़त्ल करने वालों को अल्लाह का आदेश

और अपनी औलाद को भूख के डर से क़त्ल न करो, हम ही उन को रोज़ी देते हैं और तुम को भी। यक़ीनन उनका क़त्ल बड़ा गुनाह है ।

Tuesday, June 7, 2011

मेरे बन्दों को सूचित कर दो कि मैं अत्यन्त क्षमाशील, दयावान हूँ

 (अल्लाह ने शैतान से) कहा, "अच्छा, तू निकल जा यहाँ से, क्योंकि तुझपर फिटकार है! (34) निश्चय ही बदले के दिन तक तुझ पर धिक्कार है।" (35) उसने कहा, "मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहलत दे, जबकि सब उठाए जाएँगे।" (36) कहा, "अच्छा, तुझे मुहलत है, (37) उस दिन तक के लिए जिसका समय ज्ञात एवं नियत है।" (38) उसने कहा, "मेरे रब! इसलिए कि तूने मुझे सीधे मार्ग से विचलित कर दिया है, अतः मैं भी धरती में उनके लिए मनमोहकता पैदा करूँगा और उन सबको बहकाकर रहूँगा,(39) सिवाय उनके जो तेरे चुने हुए बन्दे होंगे।" (40) कहा, "मुझ तक पहुँचने का यही सीधा मार्ग है, (41) मेरे बन्दों पर तो तेरा कुछ ज़ोर न चलेगा, सिवाय उन बहके हुए लोगों को जो तेरे पीछे हो लें(42) निश्चय ही जहन्नम ही का ऐसे समस्त लोगों से वादा है (43)उसके सात द्वार है। प्रत्येक द्वार के लिए एक ख़ास हिस्सा होगा।"(44) निस्संदेह डर रखनेवाले बाग़ों और स्रोतों में होंगे, (45) "प्रवेश करो इनमें निर्भयतापूर्वक सलामती के साथ!" (46) उनके सीनों में जो मन-मुटाव होगा उसे हम दूर कर देंगे। वे भाई-भाई बनकर आमने-सामने तख़्तों पर होंगे (47) उन्हें वहाँ न तो कोई थकान और तकलीफ़ पहुँचेगी औऱ न वे वहाँ से कभी निकाले ही जाएँगे(48) मेरे बन्दों को सूचित कर दो कि मैं अत्यन्त क्षमाशील, दयावान हूँ; (49) और यह कि मेरी यातना भी अत्यन्त दुखदायिनी यातना है (50)    -क़ुरआन, 15, 34-50 

Monday, June 6, 2011

कोई भी चीज़ तो ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों

यह अनुसरण निश्चय ही हमने अवतरित किया है और हम स्वयं इसके रक्षक हैं (9)तुमसे पहले कितने ही विगत गिरोंहों में हम रसूल भेज चुके है (10)कोई भी रसूल उनके पास ऐसा नहीं आया, जिसका उन्होंने उपहास न किया हो (11) इसी तरह हम अपराधियों के दिलों में इसे उतारते है (12) वे इसे मानेंगे नहीं। पहले के लोगों की मिसालें गुज़र चुकी हैं(13) यदि हम उनपर आकाश से कोई द्वार खोल दें और वे दिन-दहाड़े उसमें चढ़ने भी लगें, (14) फिर भी वे यही कहेंगे, "हमारी आँखें मदमाती हैं, बल्कि हम लोगों पर जादू कर दिया गया है!"(15) हमने आकाश में बुर्ज (तारा-समूह) बनाए और हमने उसे देखनेवालों के लिए सुसज्जित भी किया (16) और हर फिटकारे हुए शैतान से उसे सुरक्षित रखा - (17) यह और बात है कि किसी ने चोरी-छिपे कुछ सुनगुन ले लिया तो एक प्रत्यक्ष अग्निशिखा ने भी झपटकर उसका पीछा किया - (18) और हमने धरती को फैलाया और उसमें अटल पहाड़ डाल दिए और उसमें हर चीज़ नपे-तुले अन्दाज़ में उगाई (19) और उसमें तुम्हारे गुज़र-बसर के सामान निर्मित किए, और उनको भी जिनको रोज़ी देनेवाले तुम नहीं हो (20) कोई भी चीज़ तो ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों, फिर भी हम उसे एक ज्ञात (निश्चिंत) मात्रा के साथ उतारते है (21) हम ही वर्षा लानेवाली हवाओं को भेजते है। फिर आकाश से पानी बरसाते है और उससे तुम्हें सिंचित करते है। उसके ख़जानादार तुम नहीं हो (22) हम ही जीवन और मृत्यु देते है और हम ही उत्तराधिकारी रह जाते है (23) हम तुम्हारे पहले के लोगों को भी जानते है और बाद के आनेवालों को भी हम जानते है (24) तुम्हारा रब ही है, जो उन्हें इकट्ठा करेगा। निस्संदेह वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है (25) 
                               -क़ुर'आन, 15, 9-25