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Monday, June 6, 2011

कोई भी चीज़ तो ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों

यह अनुसरण निश्चय ही हमने अवतरित किया है और हम स्वयं इसके रक्षक हैं (9)तुमसे पहले कितने ही विगत गिरोंहों में हम रसूल भेज चुके है (10)कोई भी रसूल उनके पास ऐसा नहीं आया, जिसका उन्होंने उपहास न किया हो (11) इसी तरह हम अपराधियों के दिलों में इसे उतारते है (12) वे इसे मानेंगे नहीं। पहले के लोगों की मिसालें गुज़र चुकी हैं(13) यदि हम उनपर आकाश से कोई द्वार खोल दें और वे दिन-दहाड़े उसमें चढ़ने भी लगें, (14) फिर भी वे यही कहेंगे, "हमारी आँखें मदमाती हैं, बल्कि हम लोगों पर जादू कर दिया गया है!"(15) हमने आकाश में बुर्ज (तारा-समूह) बनाए और हमने उसे देखनेवालों के लिए सुसज्जित भी किया (16) और हर फिटकारे हुए शैतान से उसे सुरक्षित रखा - (17) यह और बात है कि किसी ने चोरी-छिपे कुछ सुनगुन ले लिया तो एक प्रत्यक्ष अग्निशिखा ने भी झपटकर उसका पीछा किया - (18) और हमने धरती को फैलाया और उसमें अटल पहाड़ डाल दिए और उसमें हर चीज़ नपे-तुले अन्दाज़ में उगाई (19) और उसमें तुम्हारे गुज़र-बसर के सामान निर्मित किए, और उनको भी जिनको रोज़ी देनेवाले तुम नहीं हो (20) कोई भी चीज़ तो ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों, फिर भी हम उसे एक ज्ञात (निश्चिंत) मात्रा के साथ उतारते है (21) हम ही वर्षा लानेवाली हवाओं को भेजते है। फिर आकाश से पानी बरसाते है और उससे तुम्हें सिंचित करते है। उसके ख़जानादार तुम नहीं हो (22) हम ही जीवन और मृत्यु देते है और हम ही उत्तराधिकारी रह जाते है (23) हम तुम्हारे पहले के लोगों को भी जानते है और बाद के आनेवालों को भी हम जानते है (24) तुम्हारा रब ही है, जो उन्हें इकट्ठा करेगा। निस्संदेह वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है (25) 
                               -क़ुर'आन, 15, 9-25