कहो ! कि आसमानों और ज़मीन में जो कुछ है उसे देखो और निशानियाँ और डरावे उन लोगों को फ़ायदा नहीं पहुंचाते जो ईमान नहीं लाते । वे तो बस इस तरह के दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जिस तरह के दिन उनसे पहले गुजरे हुए लोगों को पेश आए ; कहो , इंतज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ इंतज़ार करने वालों में हूँ । फिर हम बचा लेते हैं अपने रसूलों को और उनको जो ईमान लाए , इसी तरह हमारा ज़िम्मा है कि हम ईमान वालों को बचा लेंगे ।
क़ुरआन, यूनुस, 101-103
इस कायनात के मालिक ने अपनी कायनात को एक ज़बर्दस्त क़ानून का पाबंद बनाया है और उसका एक मक़सद भी मुक़र्रर किया है और उसे पाने का तरीक़ा भी । जब कोई चीज़ अपने तरीक़े और मक़सद से भटक जाती है तो ख़ुद ब ख़ुद नष्ट हो जाती है , यह भी प्राकृतिक क़ानून है ।
इंसान का मक़सद है इंसानियत और इंसानियत की बुनियादी पहचान है शांति । आज हमारा देश इंसानियत और शांति से लगभग ख़ाली है । न घर में आज माँ की कोई जगह है और न ही माँ के पेट में ही लड़की महफ़ूज़ है । आज माँ बाप और क़ातिल में फ़र्क़ मिट चुका है । आज डाक्टर एक सुपारी किलर बन चुका है और इसके पीछे है दौलत के ढेर लगाने की बेजा ख़्वाहिश , शान से जीने और ऐश करने का अरमान । इसी ख़्वाहिश की वजह से छोटे बड़े घोटाले होते हैं । घरेलू झगड़ों और दंगों से लेकर विश्वयुद्ध तक जो कुछ भी होता है , उसके पीछे भी यही नापाक हवस होती है ।
इसी हवस की वजह से इस ज़मीन पर ऐसे एटॉमिक और रसायनिक परीक्षण हुए कि सारी ज़मीन का और उसके माहौल का संतुलन बिगड़ गया है । खराबी सारी दुनिया में है लेकिन जिक्र हम सिर्फ अपने देश का कर रहे हैं क्योंकि सुधार के लिए अगर हम सचमुच कुछ कर सकते हैं तो सिर्फ उस जगह कर सकते हैं जहाँ कि हम आबाद हैं और यह उस जगह का भी हक है और उस जगह के लोगों का भी।
इंसान आज इंसानियत खोकर चारित्रिक रूप से तो तबाह हो ही चुका है , भौतिक रूप से भी नाना प्रकार की बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं से घिर चुका है ।
पूरी तरह इंसान मिट कर रह जाए , इससे बचाने के लिए दयालु मालिक ने चेतावनी की प्राकृतिक व्यवस्था की है लेकिन जो लोग उस चेतावनी पर ध्यान नहीं देते वे आने वाली तबाही से बच नहीं पाते ।
आज आसमान से बर्फ़ गिरे या बिजली , किसी को कोई परवाह नहीं है । लोग नशा करने और नाचने गाने में मस्त हैं । दौलत की हवस , जुल्म- ज्यादती और जरायम में कोई कमी नहीं आ रही है क्योंकि आज आदमी अपने बुरे अमल से तो क्या ईश्वर से भी डरने के लिए तैयार नहीं है ।
कुछ ने कह दिया कि ईश्वर ने हमें नहीं बल्कि हमने ईश्वर को बनाया है और वे नास्तिक बन बैठे और जो लोग खुद को धार्मिक शो करते हैं वे कहते हैं कि ईश्वर से डरने की कोई जरूरत ही नहीं है ।
ठीक है मत डरिए अपने मालिक से और भुगतिए अपने पाप का अंजाम ।
लेकिन ईमान वाले बंदे आज भी हैं तो अपने मालिक से डरते भी हैं और जुल्म से और पाप से बचते भी हैं । जो जुर्म और पाप से आज बच रहा है , आने वाले कल में जब मुजरिम तबाह होंगे तब उन्हें उनका मालिक तबाही से बचाएगा । ऐसा ही होना है क्योंकि सदा से ऐसा ही होता आया है ।
क़ुरआन यही बताता है ।
ग्रेटर नोएडा में गिरी हरी बर्फ़
6 किलो की बर्फ़ गिरने से वैज्ञानिक भी हैरत में
सथियाना स्थित सेन्ट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के ग्रुप में शनिवार की सुबह जोरदार आवाज के साथ बर्फ़ का टुकड़ा आ गिरा । इसका रंग हरा है । वजन भी लगभग 6 किलोग्राम है । हरी बर्फ़ गिरना सेंटर में ही नहीं इलाके में भी चर्चा का विषय बना हुआ है । वैज्ञानिक परीक्षण के बाद ही कुछ बताने की बात कही जा रही है । सेंटर के इंस्पेक्टर राज सिंह ने बताया कि जवानों की बैरक की छत पर तकरीबन सवा नौ बजे जोरदार आवाज आई । आवाज सुनकर जवान बाहर की तरफ दौड़े तो सामने हरे रंग की बर्फ़ का टुकड़ा पड़ा था । जवानों ने बर्फ़ गिरने की सूचना पुलिस को दी । पुलिस ने मौके का मुआयना किया । बर्फ़ के टुकड़े को फ्रिज में रखा गया है ।
राष्ट्रीय सहारा उर्दू 21 फरवरी 2011 मुखपृष्ठ
वेद और धर्म के विषय में ग़लत निकले स्वामी दयानंद जी के अनुमान
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स्वामी दयानन्द जी की शिक्षाओं ने हिन्दू समाज को आन्दोलित किया। उसमें तर्क
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