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Saturday, April 30, 2011

वह पालनहार बहुत क्षमाशील और रहम करने वाला है

और आपका पालनहार बहुत क्षमाशील, रहम करने वाला है और यदि उनके (पापियों के) किए (कर्मों) पर उनको पकड़े तो तत्काल उन पर प्रकोप डाल दे, बल्कि उनके लिए एक समय निश्चित है । ये लोग उसके (परमेश्वर के) अलावा कोई जगह शरण की नहीं पा सकते । -क़ुरआन, 18, 58
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'अन्याय की रीति पर चलने का अंजाम तबाही है। यह बात व्यक्ति के लिए भी है और समुदाय , नगर और राष्ट्र के लिए भी। यह तबाही तरह तरह से घेरना तो उसी समय से शुरू कर देती है जबसे कोई इंसान या कोई समुदाय ज़ुल्म और झूठ का रास्ता इख़्तियार करता है लेकिन उसके पूर्ण विनाश में कुछ समय ज़रूर लगता है। ऐसा केवल इसलिए होता है कि अल्लाह क्षमा और दया करने वाला है । वह पाप के बदले में तुरंत नष्ट करने के बजाय सुधार के लिए अवसर देता है लेकिन पाप करने वाले यह समझ लेते हैं कि इस जहान का रखवाला या तो कोई है ही नहीं या फिर उसे कोई परवाह नहीं है कि दुनिया में कौन किसके साथ क्या कर रहा है ?
यह सोच उन्हें ज़ुल्म और पाप करने के लिए और ज़्यादा दिलेर बना देती है । मालिक अपने बंदों के हाल से बेख़बर या ग़ाफ़िल नहीं है बल्कि वह उनके हाल पर मेहरबान है और उनका भला चाहता है।
लेकिन क्या इंसान भी अपना भला चाहता है ?
अगर चाहता है तो फिर वह भलाई के रास्ते पर चलने के बजाय तबाही के रास्ते पर क्यों चला जा रहा ?

Friday, April 29, 2011

भलाई और परोपकार के लिए मोह से ऊपर उठना ज़रूरी है


तुम कभी भी भलाई में सर्वोच्च स्थान प्राप्त नहीं कर सकते जब तक कि तुम अपनी प्यारी चीज़ में से ख़र्च न करो (परोपकार में) और जो कुछ भी ख़र्च करोगे, सो अल्लाह जानता है।
 -कुरआन, 3, 92 

Wednesday, April 27, 2011

अल्लाह की मेहरबानी है कि उसने बता दिया है कि भ्रष्टाचार मत करो Corruption


1. और एक दूसरे के माल आपस में धोखाधड़ी से न खाओ और न ही उन्हें अपने हाकिमों तक इस मक़सद से पहुंचाओ कि जनता की सम्पत्ति में से कुछ भाग भ्रष्टाचार के ज़रिए खुद खा जाओ और (जबकि) तुम जानते हो -कुरआन, 2, 188
2. ऐ ईमान वालो, एक दूसरे की सम्पत्ति अनाधिकृत रूप से मत खाओ मगर यह कि आपसी सहमति से व्यापार हो; आपस में रक्तपात (भी) न करो; निःसंदेह अल्लाह तुम पर कृपालु है। -कुरआन, 2, 172
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भ्रष्टाचार एक बुराई है जिसके पीछे इंसान की अनुशासनहीनता और उसका लालच होता है। जो लोग ईश्वर अल्लाह पर विश्वास रखते हैं, उनसे अल्लाह कह रहा है कि माल हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार मत करो। न तो सरकारी माल को धोखाधड़ी करके खा जाओ और न ही नाजायज़ से तरीक़े से जनता के माल अपने हाकिमों तक पहुंचाओ कि उसमें से एक हिस्सा खुद खा जाओ। इस तरह ईमान वालों के लिए भ्रष्टाचार के ज़रिए माल हासिल करने को हराम ठहराता है। जो लोग इस शिक्षा पर चलते हैं, उनके दिल को सुकून मिलता है, उन्हें समाज में ऐतबार की नज़र से देखा जाता है और उनके माल और उनकी औलाद में अल्लाह बरकत देता है। ग़लत तरीक़ों से माल कमाकर समाज के लोग खुद को और अपने बच्चों को जिस ऐशो-इशरत का आदी बना देते हैं, वह ऐशो-इशरत भ्रष्ट आदमी को उसके जीवन के असली मक़सद से दूर कर देता है। उसके भ्रष्टाचार की अपने आप में यह सज़ा बिल्कुल नग़द है। इसी के साथ वह अपने बच्चों को भी नेकी और सच्चाई से दूर करने का काम करता है जिसकी वजह से वे भी दुनिया की बहुत सी बुराईयों के शिकार होकर तन-मन से दुखी रहते हैं।
अल्लाह की मेहरबानी यह है कि उसने बता दिया है कि भ्रष्टाचार मत करो, इसमें तुम्हारा भला नहीं है। अल्लाह की मेहरबानी यह है कि उसने आपस में खून बहाने को वर्जित ठहराया है। अगर समाज इन उसूलों पर चले तो समाज में शांति और विकास होगा और सभी उन्नति करेंगे। सभी लोग समृद्ध होंगे। हरेक आदमी सुरक्षित होगा। यह परिणाम होगा उस अनुशासन की पाबंदी का, जिसकी शिक्षा अल्लाह देता है। अल्लाह पर ईमान का दावा तब तक क़ाबिले ऐतबार ही नहीं है जब तक कि आदमी अल्लाह के ठहराए हलाल को हलाल और उसके ठहराए हराम को हराम न मान ले और वह तब तक भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हो सकता जब तक कि वह इनके मुताबिक़ खुद को संवार न ले।  

Tuesday, April 26, 2011

अंत में भला किन लोगों का होता है ?

मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि अल्लाह से सहायता माँगो और धीरज रखो यह धरती अल्लाह ही की है अपने बंदों में से जिसे चाहे वह उसका मालिक बना दे और अंत में भला उन ही का होता है जो अल्लाह से डरते हैं । - क़ुरआन, 7, 128

Monday, April 25, 2011

सब्र के साथ आगे बढ़िए और विजय पाइये Patience


1. हे आस्थावान लोगो, धैर्य और नमाज़ से मदद लो, निःसंदेह अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है। -कुरआन, 2, 153

2. निःसंदेह जो कोई गुनाह से डरता है और धैर्य रखता है तो अल्लाह ऐसे पवित्र आचरण वाले लोगों का बदला (पुण्य) नष्ट नहीं करता। -कुरआन, 16, 96
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अरबी में सब्र व्यापक अर्थों में प्रयुक्त होता है जबकि उर्दू में यह शब्द बहुत सीमित अर्थ को व्यक्त करता है। सब्र का अर्थ है ‘डटे रहना‘। इंसान के जीवन में ऐसे बहुत से मौक़े आते हैं जब वह सत्य और न्याय से विचलित हो जाता है, कभी किसी लालच में पड़कर और कभी किसी नुक्सान के डर से। जो आदमी समाज में कोई सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहता है, उसे पहले खुद में सकारात्मक परिवर्तन लाना होगा। अपने इरादे को मज़बूत बनाना होगा, खुद में सब्र का माद्दा पैदा करना होगा। जो लोग ‘सब्र‘ का गुण अपने अंदर रखते हैं वे मुसीबतों और आज़माईशों से कभी नहीं घबराते और अंत में विजय पाते हैं।
सच्चा गुरू वास्तव में परमेश्वर है। वह जानता है कि सफलता पाने के लिए इंसान के अंदर किन गुणों का होना ज़रूरी है। इसीलिए वह अपने बंदों को सब्र की तालीम देता है। जहां सब्र होगा वहां टकराव कम होगा और एक दिन वह ख़त्म भी होगा। टकराव का ख़ात्मा केवल सब्र से ही मुमकिन है।
इसलाम का धात्वर्थ है शांति जो कि सब्र के बिना मुमकिन ही नहीं है। इसीलिए इसलाम पर बिना सब्र के अमल भी मुमकिन नहीं है। यह बात हर उस आदमी को जान लेनी चाहिए जो कि परमेश्वर की ओर, सफलता की ओर और अपने जन्म के मूल उद्देश्य की ओर बढ़ने का इरादा रखता हो, जो कि अपने और अपने समाज के कल्याण की इच्छा रखता हो।

Sunday, April 24, 2011

तुम सत्य के साथ रहो, अल्लाह तुम्हारे साथ रहेगा और तब तुम्हें कोई भी हरा न पाएगा The Secret Of Victory


1. अल्लाह के सिवा कोई उपास्य नहीं और आस्थावान लोगों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए। -कुरआन, 64, 13

2. ...और जो कोई अल्लाह पर भरोसा रखता है तो अल्लाह उसके लिए काफ़ी है। निःसंदेह अल्लाह अपना काम पूरा करके रहता है। अल्लाह ने हरेक काम का अन्दाज़ा (मापदंड) निश्चित कर रखा है। -कुरआन, 65, 3

3. और उस ज़िंदा रहने वाले पर भरोसा करो जिसे कभी मौत नहीं आएगी। -कुरआन, 25, 58

4. यदि अल्लाह तुम्हारी मदद करेगा तो कोई तुम से जीत नहीं सकता और यदि वह तुम्हारी मदद न करे तो फिर ऐसा कौन है जो उसके बाद तुम्हारी मदद कर सके ? और आस्थावान लोगों को तो अल्लाह पर ही भरोसा करना चाहिए। -कुरआन, 3, 160

अल्लाह ऐसा नहीं है कि वह अपने लिए संतान बनाए


1. और यहूदी कहते हैं कि उज़ैर अल्लाह का बेटा है और ईसाई कहते हैं कि मसीह अल्लाह का बेटा है, यह उनकी अपने मुंह की बातें हैं, वे उन लोगों की बात की नक़ल कर रहे हैं जिन्होंने उन से पहले इन्कार किया, अल्लाह की मार उन पर, कैसे भटक रहे हैं ? -कुरआन, 9, 30

2. और आप कह दीजिए कि सब स्तुतियां उसी अल्लाह के लिए हैं जो कोई संतान नहीं रखता और न सत्ता में कोई उसका भागीदार है और न कमज़ोरी की की वजह से कोई उसका सहायक है और उसकी महानता का भरपूर बयान कीजिए। -कुरआन, 17, 111

3. परब्रह्म परमेश्वर अल्लाह को शोभित नहीं कि वह अपने लिए संतान बनाए, वह बड़ा महिमावान है वह जब किसी काम को करने का निर्णय करता है तो उसके लिए वह ‘हो जा‘ कहता है सो वह काम हो जाता है। -कुरआन, 19, 35 '

Friday, April 22, 2011

बेशर्मी, व्याभिचार और जुल्म के बारे में अल्लाह का वचन Word of God


1- और व्याभिचार के निकट भी न जाओ निःसंदेह वह निर्लज्जता (बेशर्मी) है और बुरा मार्ग है। -कुरआन 17, 32

2- ऐ रसूल ! आप कह दीजिए कि मेरे रब ने निर्लज्जता की सब बातों को वर्जित (हराम) ठहराया है, चाहे वे खुली हों या छिपी हों और गुनाह को और नाहक़ किसी पर जुल्म को और इस बात को कि किसी ऐसी चीज़ को अल्लाह का साझी ठहराओ जिसकी उसने कोई सनद (पुष्टि) नहीं उतारी और इस बात को कि अल्लाह के विषय में वह बातें कहो जिनका तुम्हें (प्रमाणित रूप से) कोई ज्ञान नहीं है।
               -कुरआन, 7, 33


Thursday, April 21, 2011

अल्लाह के वचन को थोड़े से माल के बदले मत बेच डालो


1. ...और अल्लाह से जो प्रतिज्ञा करो उसे पूरा करो। -कुरआन, 6,153
2. और तुम अल्लाह के वचन को पूरा करो जब आपस में वचन कर लो और सौगंध को पक्का करने के बाद न तोड़ो और तुम अल्लाह को गवाह भी बना चुके हो, निःसंदेह अल्लाह जानता है जो कुछ तुम करते हो। -कुरआन, 16, 91
3. निःसंदेह अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि अमानतें उनके हक़दारों को पहुंचा दो और जब लोगों में फ़ैसला करने लगो तो इंसाफ़ से फ़ैसला करो।
 -कुरआन, 4, 58
4. और तुम लोग अल्लाह के वचन को थोड़े से माल के बदले मत बेच डालो (अर्थात लालच में पड़कर सत्य से विचलित न हुआ करो), निःसंदेह जो अल्लाह के यहां है वही तुम्हारे लिए बहुत अच्छा है यदि समझना चाहो। -कुरआन, 16, 95 

Wednesday, April 20, 2011

प्रतिज्ञा के विषय में अल्लाह की नीति


1. हे आस्तिको ! प्रतिज्ञाओं को पूरा करो।  
              -कुरआन, 5, 1
2. ...और अपनी प्रतिज्ञाओं का पालन करो, निःसंदेह प्रतिज्ञा के विषय में जवाब तलब किया जाएगा।  -कुरआन, 17, 34

Tuesday, April 19, 2011

अल्लाह की क्षमानीति

1. और जिन लोगों ने बुरे काम किए फिर उस के बाद क्षमा याचना कर ली और आस्थावान हो गए तब नि:संदेह तेरा पालनहार उस सच्ची क्षमा के उपरांत मुक्ति देने वाला निरंतर कृपाशील है।
-क़ुरआन, 7 : 153

2. और मैं अपार मुक्ति देने वाला हूँ उसके लिए जो क्षमा याचना करे और आस्थावान बन जाए और भले काम करे , फिर सन्मार्ग पर चलता रहे।
-क़ुरआन, 20 : 82

Monday, April 18, 2011

औरत और मर्द के बारे में अल्लाह की नीति Woman in Quran

सो उनके प्रभु ने उन की प्रार्थना स्वीकार कर ली कि मैं किसी के कर्मों को बर्बाद नहीं करता चाहे पुरुष हो या स्त्री (मेरी नज़र में) तुम सब आपस में बराबर हो ।
क़ुरआन, 3 : 195